Saturday, February 1, 2025
पंचांग के अनुसार, हर साल माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह त्योहार 02 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन मुख्य रूप से विद्या, बुद्धि और संगीत की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पूजा-अर्चना करने से सभी रुके हुए कार्य पूरे होने लगते हैं। इसके साथ ही मां सरस्वती की कृपा से बुद्धि और धन की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस दिन आपको पूजा के बाद कुछ विशेष मंत्रों और श्लोकों का जाप जरूर करना चाहिए।माता सरस्वती मंत्र (Mata Saraswati mantra)सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणी,विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु में सदाउपनिषदों की कथा के अनुसार सृष्टि के प्रारंभिक काल में ब्रह्मा ने जीवों, खासतौर पर मनुष्य योनि की रचना की। लेकिन अपनी सर्जना से वे संतुष्ट नहीं थे, उन्हें लगता था कि कुछ कमी रह गई है जिसके कारण चारों ओर मौन छाया रहता है।[2] हालाकि उपनिषद व पुराण ऋषियो को अपना अपना अनुभव है, अगर यह हमारे पवित्र सत ग्रंथों से मेल नही खाता तो यह मान्य नही है।[3]तब ब्रह्मा जी ने इस समस्या के निवारण के लिए अपने कमण्डल से जल अपने हथेली में लेकर संकल्प स्वरूप उस जल को छिड़कर भगवान श्री विष्णु की स्तुति करनी आरम्भ की। ब्रम्हा जी के किये स्तुति को सुन कर भगवान विष्णु तत्काल ही उनके सम्मुख प्रकट हो गए और उनकी समस्या जानकर भगवान विष्णु ने आदिशक्ति दुर्गा माता का आव्हान किया। विष्णु जी के द्वारा आव्हान होने के कारण भगवती दुर्गा वहां तुरंत ही प्रकट हो गयीं तब ब्रम्हा एवं विष्णु जी ने उन्हें इस संकट को दूर करने का निवेदन किया।[4]ब्रम्हा जी तथा विष्णु जी बातों को सुनने के बाद उसी क्षण आदिशक्ति दुर्गा माता के शरीर से स्वेत रंग का एक भारी तेज उत्पन्न हुआ जो एक दिव्य नारी के रूप में बदल गया। यह स्वरूप एक चतुर्भुजी सुंदर स्त्री का था जिनके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ में वर मुद्रा थे । अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। आदिशक्ति श्री दुर्गा के शरीर से उत्पन्न तेज से प्रकट होते ही उन देवी ने वीणा का मधुरनाद किया जिससे संसार के समस्त जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई। जलधारा में कोलाहल व्याप्त हो गया। पवन चलने से सरसराहट होने लगी। तब सभी देवताओं ने शब्द और रस का संचार कर देने वाली उन देवी को वाणी की अधिष्ठात्री देवी "सरस्वती" कहा।[5]फिर आदिशक्ति भगवती दुर्गा ने ब्रम्हा जी से कहा कि मेरे तेज से उत्पन्न हुई ये देवी सरस्वती आपकी पत्नी बनेंगी, जैसे लक्ष्मी श्री विष्णु की शक्ति हैं, पार्वती महादेव शिव की शक्ति हैं उसी प्रकार ये सरस्वती देवी ही आपकी शक्ति होंगी। ऐसा कह कर आदिशक्ति श्री दुर्गा सब देवताओं के देखते - देखते वहीं अंतर्धान हो गयीं। इसके बाद सभी देवता सृष्टि के संचालन में संलग्न हो गए।[6]सरस्वती को वागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। ये विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ये संगीत की देवी भी हैं। बसन्त पंचमी के दिन को इनके प्रकटोत्सव के रूप में भी मनाते हैं। ऋग्वेद में भगवती सरस्वती का वर्णन करते हुए कहा गया है-मान-सम्मान और आत्मविश्वास में वृद्धि पाना चाहते हैं तो बसंत पंचमी के दिन इस मंत्र का जाप विशेष रूप से करें। इससे सभी जातकों को लाभ हो सकता है और उत्तम परिणाम भी मिल सकते हैं।नमस्ते शारदे देवी, काश्मीरपुर वासिनी,त्वामहं प्रार्थये नित्यं, विद्या दानं च देहि में,कंबू कंठी सुताम्रोष्ठी सर्वाभरणंभूषिता,महासरस्वती देवी, जिव्हाग्रे सन्नी विश्यताम् ।।शारदायै नमस्तुभ्यं , मम ह्रदय प्रवेशिनी,परीक्षायां समुत्तीर्णं, सर्व विषय नाम यथा।।सरस्वती गायत्री मंत्र – ॐ ऐं वाग्देव्यै विद्महे कामराजाय धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्॥
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