कुंडली-देव लग्न की या दैत्य लग्न की
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तो सभी ज्योतिष प्रेमी नोट कर लीजिये
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देव लग्न : अगर लग्न में ये राशियां हैं ।
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मेष , वृश्चिक - स्वामी मंगल
कर्क - स्वामी चन्द्र्मा
सिंह - स्वामी सूर्य
धनु, मीन - स्वामी गुरु
दैत्य लग्न :
वृष, तुला - स्वामी शुक्र
मिथुन, कन्या - स्वामी बुध
मकर, कुम्भ - स्वामी शनि
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ये दो प्रकार के गुण , धर्म , स्वभाव में कुण्डली को बाँट लो
और ये देखो की देव राशि में दैत्य ग्रह का फल कमजोर होगा और दैत्य राशि में स्थित देव ग्रह का फल कमजोर होगा !
महादशा फल : देव लग्न वालों को दैत्य ग्रह की महादशा संघर्षमयी होगी और दैत्य लग्न वालों को देव ग्रह की महादशा कमजोर करेगी !!!https://astronorway.blogspot.com/
उच्च ग्रह भी शुभ फल नही देते : इसके लिए कुण्डली का स्वभाव देखना होगा ।https://astronorway.blogspot.com/
मान लीजिये वृश्चिक लग्न की देव कुण्डली है और शनि उच्च का हो तो भी वो अधिक कल्याणकारी न होगा।
क्योंकि यहां मंगल का शत्रु उच्च है , इसी तरह कुम्भ लग्न में गुरु उच्च हो तो वो भी अधिक लाभ न देगा क्योंकि कुम्भ लग्न दैत्य श्रेणी में आता है ।https://astronorway.blogspot.com/
और गुरु उसका विरोधी उच्च हो कर भी लाभ नही देता , इसलिए अपनी कुंडली के अनुसार आप पूजा पाठ कर सकते हैं ।https://astronorway.blogspot.com/
अपनी कुण्डली की श्रेणी देखिये न की उच्च के ग्रह !!!
और भी कई सूत्र हैं ....
शक्ति उपासक- -आचार्य पटवाल
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