सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि कुंडली में पित्र दोष कैसे देखते हैं ? ज्यादातर लोगों को यह पता ही नहीं है । जिस कुंडली में पित्र दोष नहीं है उसे भी पितृदोष पितृदोष बोलकर लोगों के मन में भ्रम उत्पन्न कर देते हैं ।
हमारी जन्म कुंडली का निर्माण हमारे पूर्व जन्म के किए गए कर्म के अनुसार बनती है । आपने जिस घर में जन्म लिया है आपकी कुंडली में बनने वाले पितृदोष का उनसे कुछ भी लेना देना नहीं है ।
इस संसार में प्रत्येक व्यक्ति अकेला आया है अकेला जाएगा और अपने कर्म का हिसाब किताब उसे अकेले ही भोगना पड़ता है । ना आपके कर्म का फल आपके परिवार भोगेंगे ना अपने परिवार के कर्म का फल आप भोगेंगे ।
आप जिस घर में जन्म लिए हैं उस घर के पूर्वज या कोई भी बुजुर्ग व्यक्ति की मृत्यु हो गई या उसने कोई गलत कार्य किया उसके वजह से आपकी कुंडली में पित्र दोष कैसे बन जाएगा जबकि आपकी कुंडली तो आपके जन्म लेने के समय बनी थी और वास्तव में माना जाए तो जिसमें माँ के गर्भ में बीज का रोपण होता है उसी समय असली कुंडली बन जाती है ।
फिर आप जिस घर में जन्म लिए उनके आपके कुंडली में बनने वाले पितृदोष का क्या लेना देना ?
आप अपने पूर्व जन्म में किए गए पाप और दोष को आप जिस घर में जन्म लिया उसके पूर्वजों पर मढ़ देते हैं कि उनके कारण मुझे पितृदोष हुआ है । जबकि वास्तविकता यह है कि आपकी कुंडली में जो पितृदोष बना है वह आपके पूर्व जन्म में किए गए कर्म के अनुसार बना है । इसलिए आपको अपना उपाय स्वयं करना पड़ेगा ।
वास्तविकता यह है कि हम जो भी पिंड दान या श्राद्ध वगैरा करते हैं इससे आपका कोई भी दोष खत्म होने वाला नहीं है । हम जिस घर में जन्म लिए हैं यदि हमारे माता-पिता दादा की मृत्यु हो जाती है मृत्यु के तुरंत बाद नया शरीर नही मिलता है । ( इसका कारण यहाँ लिखा तो बहुत लंबा लेख हो जाएगा )
कुछ समय तक व्यक्ति को प्रेत योनि में भटकना पड़ता है । उस वक्त हम उन्हें नहीं देख सकते परंतु वह हमें देखते रहते हैं । यदि हम उनके लिए श्राद्ध या पूजा करते हैं इससे उनके मन को शांति मिलती है । परंतु जैसे हीं उनको नया शरीर मिल जाता है उसके बाद यह सब कुछ समाप्त हो जाता है । आपके और आपके पूजा या श्राद्ध करने से कोई फायदा होने वाला नहीं है । और आपके श्राद्ध करने से आपके पूर्वजों के पाप दोष समाप्त नहीं हो जाएगा । जिसने जो पाप दोष किया है वह तो उसको भुगतना ही पड़ेगा कोई क्षमा नहीं है ।
अब हम कुंडली में पित्र दोष कैसे देखते हैं इसके बारे में चर्चा करते हैं ।
👉 मात्रा सूर्य के कहीं भी पीड़ित हो जाने से पित्र दोष नहीं होता है ।
या सिर्फ दशम भाव के पीड़ित हो जाने से पित्र दोष नहीं बनता है ।
💢👉 जन्म कुंडली में दशम भाव पिता , राज्य एवं रोजगार से संबंधित भाव होता है । जब कुंडली में दशम भाव में या कहीं भी सूर्य – राहु ,शनि या केतु से पीड़ित हो जाए , दशम भाव का स्वामी पीड़ित हो जाए और दशम भाव भी पीड़ित हो जाये तब पितृ दोष बनता है ।
जब सूर्य, दशम भाव एवं दशम भाव के स्वामी पीड़ित होंगे तभी पितृदोष माना जाएगा ।
मात्र सूर्य के कहीं भी पीड़ित हो जाने से उसे पितृदोष नहीं कहते हैं उसको सिर्फ ग्रहण योग कह सकते हैं । सूर्य जिस भाव के स्वामी हैं इस भाव से संबंधित परेशानी होती है ।
💢👉 जिसकी भी कुंडली में पित्र दोष होता है उसके पिता के सुख में कमी होती है या तो बचपन में पिता की मृत्यु हो जाती है या पिता से संबंध अच्छे नहीं होते हैं । रोजगार में बहुत ज्यादा परेशानी होती है । जीवन में सही प्रकार से उन्नति नहीं हो पाती है ।
आत्म बल बहुत कमजोर होता है ।
💢👉 जिसके अपने पिता से बहुत अच्छा एवं श्रेष्ठ संबंध है उसकी कुंडली में पित्र दोष नहीं होता है ।
💠♦️ वैसे पितृदोष के बारे में बहुत सारे उपाय बताए गए जो मैं आपको नीचे बताऊंगा परंतु मेरा मानना है कि सबसे मुख्य उपाय है इस जन्म में जो भी आपके पिता है उनकी सेवा कीजिये । यदि उनसे आप का संबंध अच्छा नहीं है या अगर वह कुछ भी बोलते हैं डांटते हैं तो आप अपने मन में उनके प्रति दुर्भावना मत रखिए । अपने पिता की सेवा कीजिए । पिता से अच्छा व्यवहार कीजिए तभी जाकर पितृदोष समाप्त होगा । आप चाहे कितने भी पूजा पाठ कर लें और अपने पिता के साथ दुर्व्यवहार करें तो कभी और किसी कीमत पर पितृ दोष समाप्त नहीं होगा ।
💢 समाधान 💢
♦️ यदि आपकी कुंडली में सूर्य कारक है तो माणिक्य रत्न धारण करें या मंत्र जाप करें ।
दशम भाव का स्वामी कमजोर है तो उसका भी रत्न धारण कर सकते हैं । दशम भाव पर एवं सूर्य पर यदि क्रूर ग्रहों की दृष्टि पड़ रही है तो उनसे संबन्धित दान तथा उपाय करें । ( किसी ज्योतिषी की सलाह से )
♦️ श्राद्ध के समय में 15 दिन तक प्रतिदिन 1 1- 21 माला मंत्र जाप करके अनुष्ठान करें ।
।। ॐ क्रीं क्लीं ऐं सर्व पितृभ्यो स्वात्म सिद्धये ॐ फट् ।।
👉 किसी भी प्रकार के टोना टोटका नौटंकी करने से कोई लाभ नही होगा । उसके लिए मैंने जो नीचे उपाय बता रहा हूं वही करना पड़ेगा और वही करना पड़ेगा और उसी से ठीक होगा । और लंबे समय तक करना पड़ेगा ।
ऐसी स्थिति में राहु शनि या केतु के द्वारा ही ग्रह और भाव पीड़ित होते हैं।
आतः इनसे संबंधित दान तथा उपाय करें ।
👉 सूर्य
लाल चंदन की माला से सूर्य मंत्र का जाप कर सकते हैं ।
मंत्र – ।। ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः ।।
प्रातः तांबे के लोटे में जल , कुंकुम, अक्षत एवं लाल पुष्प डालकर सूर्य को अर्पित करें । पिता के पैर छूकर आशीर्वाद लें एवं पिता की सेवा करें ।
💠 मैं यहां तीनों ग्रहों से संबंधित उपाय बता रहा हूं परंतु जो ग्रह पीड़ित कर रहे हैं सिर्फ उनका ही उपाय करने की ज्यादा आवश्यकता है ।
👉 शनि
दान – काले वस्त्र , उरद , कला तिल , लोहे की सामग्री , जूते , सरसो का तेल , बादाम , काला छाता ।
उपाय – शनिवार को लोहे की कटोरी में सरसों तेल डालकर उसमें अपनी परछाई देखकर दान करें । शनिवार को संध्याकाल में पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं , काला तिल एवं मीठा जल चढ़ाएं तथा 7 बार परिक्रमा करें । मोर पंख पूजा स्थान में रखें । शनिवार को रोटी में हल्का सरसों तेल और नमक लगाकर काले कुत्ते या काली गाय या भैसा या कौए को खिलाएं । शराब का सेवन ना करें । बूढ़े मजदूर को भोजन कराएं ।
👉 राहु –
दान – नीले काले वस्त्र , ( यव ) जौ , काली उड़द , जटा वाला नारियल , चाय पत्ती , तंबाकू , मूली , कोयला इत्यादि। ( बुधवार या शनिवार को कुष्ठ रोगी या सफाई कर्मी को ) ।
उपाय – कुष्ठ रोगी को भोजन कराएं जिसमें काले उड़द की एक सामग्री अवश्य होनी चाहिए । जौ कच्चे दूध से धोकर नदी में विसर्जित करें या पंछियों को खिलाएं । घर में या छत पर किसी भी प्रकार का बंद बिजली का सामान या कबाड़ ना रखें । पारद शिवलिंग स्थापित करके रुद्राक्ष की माला से महामृत्युंजय मंत्र का स्वयं जाप करें । रुद्राष्टाध्यायी ( पांचवें अध्याय के 16 मंत्र ) का पाठ करते हुए पारद शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करें ।
👉 केतु –
दान – चितकबरा कंबल , भूरा वस्त्र , सतनाजा , नारियल , काला – सफेद तिल , तिल का तेल , बकरा इत्यादि । ( मंगलवार या शनिवार को कुष्ठ रोगी या सफाईकर्मी को )
उपाय – असगंध की जड़ धारण करें । काले एवं सफेद तिल के लड्डू गणेश जी को चढ़ा कर बांटें । कुत्ते को दूध एवं ब्रेड खिलाएं , प्रतिदिन कुत्ते को रोटी खिलाएं । सतनाजे की रोटी कुत्ते को खिलाएं ।
💢💠👉 पित्र पक्ष में श्राद्ध एवं पूजन कैसे करते हैं इससे संबंधित पूजन विधि 28 अगस्त को पोस्ट किया था ।
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