आपको और आपके पूरे परिवार को दीपावली के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।
दीपावली के पावन पर्व पर महालक्ष्मीजी की विशेषकृपा प्राप्त करने के लिए अष्टलक्ष्मी पूजन, आराधना, मंत्र-जाप अवश्य करें।
अष्टलक्ष्मी -
अष्टलक्ष्मी की आराधना करने से मानव जीवन सफल हो जाता है। अष्ट लक्ष्मी आराधना का उद्देश जीवन में धन के अभाव को मिटा देना है। अष्टलक्ष्मी की पूजा से इंसान को धन की प्राप्ति होती है। अगर आप काफी समय से आर्थिक तंगी में है तो अपने काम के साथ साथ मां लक्ष्मी का इस तरह पूजन अवश्य करें । शास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी को चंचला कहा जाता है अर्थात जो कभी एक स्थान पर रूकती नहीं। अतः लक्ष्मी अर्थात धन को स्थायी बनाने के लिए कुछ पूजन, आराधना, मंत्र-जाप आदि का विधान शास्त्रों में दिया गया है।
महालक्ष्मी के आठ स्वरुप है। लक्ष्मी जी के ये आठ स्वरुप जीवन की आधारशिला है। इन आठों स्वरूपों में लक्ष्मी जी जीवन के आठ अलग-अलग वर्गों से जुड़ी हुई हैं। इन आठ लक्ष्मी की पूजन करने से मानव जीवन सफल हो जाता है। अष्ट लक्ष्मी और उनके मूल बीज मंत्र इस प्रकार है।
अष्टलक्ष्मी मंत्र -
1. श्री आदि लक्ष्मी - ये जीवन के प्रारंभ और आयु को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है - ॐ श्रीं।।
2. श्री धान्य लक्ष्मी - ये जीवन में धन और धान्य को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है - ॐ श्रीं क्लीं।।
3. श्री धैर्य लक्ष्मी - ये जीवन में आत्मबल और धैर्य को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है - ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं।।
4. श्री गज लक्ष्मी - ये जीवन में स्वास्थ और बल को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है - ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं।।
5. श्री संतान लक्ष्मी - ये जीवन में परिवार और संतान को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है - ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं।।
6. श्री विजय लक्ष्मी यां वीर लक्ष्मी - ये जीवन में जीत और वर्चस्व को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है - ॐ क्लीं ॐ।।
7. श्री विद्या लक्ष्मी - ये जीवन में बुद्धि और ज्ञान को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है - ॐ ऐं ॐ।।
8. श्री ऐश्वर्य लक्ष्मी - ये जीवन में प्रणय और भोग को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है - ॐ श्रीं श्रीं।।
अष्ट लक्ष्मी आराधना का उद्देश जीवन में धन के अभाव को मिटा देना है। इस साधना से भक्त कर्जे के चक्र्व्ह्यु से बहार आ जाता है। आयु में वृद्धि होती है। बुद्धि कुशाग्र होती है। परिवार में खुशाहाली आती है। समाज में सम्मान प्राप्त होता है। प्रणय और भोग का सुख मिलता है। व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा होता है और जीवन में वैभव आता है।
अष्ट लक्ष्मी पूजन विधि :-
दीपावली की शाम 06:53pm से 08:16pm / रात 11:40am से 12:31am ( ऊपर दिए गए समय में से किसी भी एक समय में अपनी सुविधा अनुसार पूजन कर सकते है ) के बीच गुलाबी कपड़े पहने और गुलाबी आसान का प्रयोग करें। गुलाबी कपड़े पर श्रीयंत्र और अष्ट लक्ष्मी का चित्र स्थापित करें। किसी भी थाली में गाय के घी के 8 दीपक जलाएं। गुलाब की अगरबत्ती जलाएं। लाल फूलो की माला चढ़ाएं। मावे की बर्फी का भोग लगाएं। अष्टगंध से श्रीयंत्र और अष्ट लक्ष्मी के चित्र पर तिलक करें और 11 कमलगट्टे हाथ में लेकर नीचे दिए गए सभी मंत्रो की एक-एक माला ( 108 बार ) जाप करें।
मंत्र. :-
ॐ श्रीं नमः।।
ॐ श्रीं क्लीं नमः।।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं नमः।।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं नमः।।
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं नमः।।
ॐ क्लीं ॐ।।
ॐ ऐं ॐ।।
ॐ श्रीं श्रीं नमः।।
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नमः स्वाहा।।
जाप पूरा होने के बाद आठों दीपक घर की आठ दिशाओं में लगा दें तथा कमलगट्टे घर की तिजोरी में स्थापित करें। इस उपाय से जीवन के आठों वर्गों में सफलता प्राप्त होगी।
।। आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो ।।
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