Saturday, February 24, 2024

जन्म कुंडली के अनुसार विवाह की उम्र की गणना मैं पहले पोस्ट किया था परंतु उसमें और प्रमाणिक गणना करने के लिए आज हम हस्तरेखा का भी सहयोग लेंगे ।
👉 हस्तरेखा की जो तस्वीर पोस्ट की गई है उसमें जो हरे ( green )रंग का बॉक्स बना है वह बुध पर्वत पर बना है । हृदय रेखा से लेकर कनिष्ठा उंगली के प्रारंभ होने के स्थान तक का जो स्थान है उसे 50 वर्ष माना जाता है । इन दोनों को दो भाग में विभाजित करने से 25 - 25 वर्ष का योग बनेगा । यदि हृदय रेखा से ऊपर जहां 25 लिखा है उसके ऊपर यदि विवाह रेखा है तो 25 वर्ष के बाद विवाह का योग बनेगा यदि 25 वर्ष के ऊपर के बीच से भाग दिया जाए तो वह लगभग 32 वर्ष के आसपास का उम्र बनेगा इसके अनुसार आप अपने हस्तरेखा में 2 - 3 भाग में विभाजित करके विवाह की उम्र निकाल सकते हैं ।
👉 कई व्यक्तियों की विवाह रेखा के स्थान पर दो तीन रेखाएं बनी रहती है उनमें से जो सबसे साफ स्पष्ट रेखा होगी उसे ही विवाह रेखा माना जाएगा ।
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💢 सामान्य मान्यता के अनुसार विवाह का समय
💥 आधुनिक समय के अनुसार
जल्दी विवाह करवाने वाले ग्रहों के वर्ष  को और विलंब से समझना  चाहिए जो कि सरकारी मान्यता के अनुसार नियम है । यह विवाह का समय पूर्व में लिखे गए ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार है । 40 -  50 वर्ष पूर्व बहुत कम उम्र में विवाह होता था परंतु समय के अनुसार परिवर्तन होता रहता है । 
💥आज के समय में दिए गए उम्र से दो-तीन वर्ष बढ़ाकर मानें  । एवं सरकार के नियम के अनुसार 21 वर्ष के बाद ही विवाह का समय मानें । 

♦️बुध सप्तमेश हो तो 16 से 18 वर्ष की आयु में 
♦️ मंगल सप्तमेश हो तो 18 से 20 वर्ष की आयु में 
♦️ शुक्र हो तो 20 से 22 वर्ष की आयु में 
♦️ चंद्रमा हो तो 22 से 24 वर्ष की आयु में 
♦️ गुरु हो तो 24 से 26 वर्ष की आयु में 
♦️ सूर्य हो तो 26 से 28 वर्ष की आयु में 
♦️ शनि हो तो 28 से 30 वर्ष की आयु में 

💢सप्तमेश कम आयु में विवाह करने वाला ग्रह हो परंतु सप्तम भाव पर राहु ,  केतु , शनि जैसे  विलंब से  विवाह करवाने वाले ग्रहों की  दृष्टि या प्रभाव हो तो  30 - 32 वर्ष के बाद विवाह का योग बनता है । 💢

👉  यदि सप्तमेश , शुक्र या गुरु बिल्कुल कमजोर हो एवं सप्तम भाव पर एक से ज्यादा विलंब करवाने वाले ग्रहों का प्रभाव हो तब  विवाह में बहुत ज्यादा विलंब हो जाता है ।
👉 विवाह का समय आने पर शुक्र , गुरु  , सप्तमेश ,  द्वितीयेश या सप्तम भाव में मित्र ग्रह की दृष्टि या विराजमान ग्रह  की अंतर्दशा - प्रत्यंतर दशा में  विवाह का योग बनता है ।
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💥 कुंडलि या हाथ का फोटो कमेंट में ना चिपकाए ।  आप स्वयं देखकर अपने हाथ से मिलान करें अध्ययन करें ।
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