Saturday, February 17, 2024

जन्म कुंडली के प्रथम भाव से शारीरिक स्वास्थ्य , स्वभाव , जीवन की उन्नति के विषय में जानकारी प्राप्त होती है । जन्म कुंडली में प्रथम भाव में  4 अंक लिखा है । अर्थात आपकी कर्क   लग्न की कुंडली है ।  कर्क  लग्न के स्वामी  चन्द्र   होते हैं अतः  चन्द्रमा   आपके  लग्नेश है ।

कर्क लग्न प्रधान व्यक्ति शारीरिक रूप से सुंदर होते हैं ।  शरीर गौर वर्ण होता है । सुंदर मुस्कुराहट युक्त इनका व्यक्तित्व सहज ही आकर्षक होता है।  घने लंबे काले बाल ,  उन्नत ललाट , तीखी और नुकीली नासिका ,  पतले और सुंदर होंठ ,  रहस्यमई मुस्कान इनके व्यक्तित्व में आकर्षण उत्पन्न करते हैं । लंबी भुजाएं , चौड़ा सीना और आत्मविश्वास  युक्त हृदय से यह सहज ही लोगों के प्रिय पात्र बन जाते हैं ।  कद मझोला एवं शारीरिक गठन कोमल होता है । कर्क लग्न में जन्म लेने वाले व्यक्ति स्वभाव से सहिष्णु और सहनशील होते हैं ।  अपने ऊपर होते हुए अत्याचारों को भी जानबूझकर सहन करते रहते हैं । ऐसे व्यक्ति अत्यंत कोमल , मधुर ,  सहिष्णु ,  विनम्र और भावुक होते हैं । ऐसे व्यक्ति शारीरिक श्रम की अपेक्षा मानसिक श्रम में ज्यादा विश्वास करते हैं । अंतर्मन की हीनता की भावना भी प्रबल होती है ।  जरा सी कोई कार्य जो इनके रुचि के विपरीत हो जाए तो यह हीनता का शिकार हो जाते हैं ।  दुःख पीड़ा को बहुत अधिक घटा बढ़ा कर देखना इनका स्वभाव होता है । शैक्षणिक एवं राजनीतिक क्षेत्र में यह लोग अधिक सफल होते हैं । भावुकता के कारण कई बार स्वयं की हानि भी कर लेते हैं । ऐसे व्यक्तियों का बाल्यकाल  सुखद कहा जा सकता है ।  यौवन  काल में उन्हें कठोर संघर्ष करना पड़ता है ।  फिर भी यह धीरे-धीरे अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होते रहते हैं एवं अपने मंजिल पा लेते हैं ।  कर्क लग्न प्रधान व्यक्ति कल्पनाशील होते हैं ।  यह सैकड़ों योजनाएं बनाते हैं और मिटाते हैं ।  इस प्रकार के व्यक्ति सफल कवि और कहानीकार बन जाते हैं । योजना बनाने से संबंधित कार्यों में भी यह लोग सफल होते हैं । परिवारिक जीवन इनका सामान्य कहा जा सकता है । बातचीत में ऐसे जातक पटु होते हैं । किस प्रकार से बात करना ,  सामने वाले पक्ष को किस प्रकार प्रभावित करना और उन्हें अपने समूह में बांध देना यह कला इन्हें आती है और इनका यह जीवन में भरपूर उपयोग करते हैं । 
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आपकी जन्मकुंडली में लग्न पर इन ग्रहों का प्रभाव है । अतः  ग्रहों के बल के अनुसार इनसे सम्बंधित मिले जुले स्वभाव एवं प्रभाव  रहेंगे  ।

बुध - ऐसे व्यक्ति में कुमार वाले गुण होते हैं । बालकों जैसा स्वभाव होता है ।  कोमल स्वभाव होता है ।  स्त्रीत्व के गुण होते हैं । किसी भी बात का बहुत देर तक बुरा नहीं मानते हैं । हंसी मजाक करने वाले होते हैं ।  किसी भी क्षेत्र में मैनेज करना जानते हैं परंतु इनमें कुछ ईर्ष्या की भावना होती हैं । ऐसे व्यक्ति की लंबाई सामान्य से कुछ कम होती है । गणित में रुचि होती है । 
 
राहु - राहु प्रधान व्यक्ति में शनि के संबंधित गुण रहते हैं ।  ऐसे व्यक्ति जल्दी हिम्मत नहीं हारते हैं । बहुत संघर्ष करते हैं । जीतने के लिए संघर्ष करते रहते हैं  । ऐसे व्यक्ति बहुत जुगाड़ू होते हैं  । प्रत्येक क्षेत्र में कार्य करने से पीछे नहीं हटते ।  ऐसे व्यक्तियों का कई बार बनता काम अंत में बिगड़ जाता है । 
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♦️सूर्य आपकी कुंडली में धन एवं कुटुम्ब के स्वामी होते हैं । सूर्य बलवान हो तो राज्य में अधिकार प्राप्त होत है । सूर्य  अपनी दशा में धन , एवं कुटुम्ब  का श्रेष्ठ सुख देते हैं । सूर्य आपकी कुंडली में  सामान्य मारकेश होते हैं । 
👉सूर्य स्वराशि में विराजमान है परंतु अंश बल में बिल्कुल कमजोर है तथा उस पर शनि की दृष्टि है ।  जिसके कारण धन एवं कुटुंब के सुख में परेशानी होती है । धन का संग्रह ठीक से नहीं हो पाता है एवं धन से संबंध नुकसान भी होता है । मानसिक परेशानी बनी रहती है । अष्टम भाव में दृष्टि के कारण दैनिक दिनचर्या में कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ता है । आयु के  संबंध में सामान कठिनाई होती है ।

♦️चंद्रमा आपकी कुंडली में शारीरिक स्वास्थ्य , आयु , सौंदर्य एवं उन्नति के कारक होते हैं।  चंद्रमा आपकी कुंडली में कारक होते ।
👉चंद्रमा गुरु एवं मंगल के साथ विराजमान है । यह बहुत ही श्रेष्ठ योग है । शारीरिक स्वास्थय ,  सौन्दर्य ,  सम्मान ,  प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है । भाई बहन का सुख प्राप्त होता है । नवम भाव में दृष्टि के कारण भाग्य की विशेष उन्नति होती है ।  आप धर्म का पालन करते हैं ।  उच्च शिक्षा अच्छी प्राप्त होती है । ऐसे व्यक्ति सुंदर ,  ईश्वर भक्त ,  धार्मिक  , धनी  , पुरुषार्थ होते हैं।
(  परंतु चंद्रमा अंश बल एवं पक्ष बल में बहुत कमजोर है तथा उसपर केतु की दृष्टि है ।  जिसके कारण उपरोक्त लाभ में कमी एवं परेशानी होती है । मानसिक परेशानी बानी रहती है ।)

♦️मंगल आपकी कुंडली में विद्या ,  बुद्धि , संतान  , राज्य , रोजगार एवं पिता के स्वामी होते हैं ।  मंगल आपकी कुंडली में राजयोग कारक ग्रह होते हैं ।  मंगल आपकी कुंडली में प्रबल कारक ग्रह होते हैं । 
👉पराक्रम में वृद्धि होती है । भाई बहन का सुख प्राप्त होता है । विद्या - बुद्धि एवं संतान के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है । षष्ठ भाव में दृष्टि के कारण शत्रु पक्ष पर प्रभाव बना रहता है । नवम भाव में दृष्टि के कारण भाग्य की विशेष उन्नति होती है । आप धर्म का पालन करते है । उच्च शिक्षा अच्छी प्राप्त होती है । दशम में दृष्टि के कारण पिता ,  राज्य एवं रोजगार के क्षेत्र में सुख ,  सम्मान तथा सफलता प्राप्त होती है । ऐसे व्यक्ति मंगल से संबंधित रोजगार करें तो अच्छी सफलता प्राप्त होती है ।
(  मंगल पर केतु की दृष्टि है जिसके कारण उपरोक्त लाभ में कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ता है । )

♦️बुध आपकी कुंडली में छोटे भाई - बहन , पराक्रम , बाहरी स्थानों से संपर्क एवं खर्च के कारक होते हैं ।  बुध आपकी कुंडली में अकारक ग्रह होते हैं । 
👉शारीरिक स्वास्थ में कुछ परेशानी तथा दुर्बलता रहती है । भाई-बहन का सुख प्राप्त होता है । बाहरी स्थानों के संपर्क से उन्नति होती है । खर्च अधिक रहता है । सप्तम भाव पर दृष्टि के कारण कुछ कठिनाइयों के साथ पत्नी एवं वैवाहिक जीवन का सुख प्राप्त होता है ।

♦️गुरु आपकी कुंडली में भाग्य , धर्म ,  उच्च शिक्षा , रोग एवं शत्रु के स्वामी होते हैं ।  गुरु आपकी कुंडली में कारक और अकारक दोनों होते हैं । 
👉पराक्रम में वृद्धि होती है । भाई-बहन का सुख प्राप्त होता है । सप्तम भाव में दृष्टि के कारण कुछ कठिनाइयों के साथ पत्नी एवं वैवाहिक जीवन का सुख प्राप्त होता है । नवम भाव में दृष्टि के कारण भाग्य की विशेष उन्नति होती है । आप धर्म का पालन करते हैं । उच्च शिक्षा अच्छी प्राप्त होती है । एकादश भाव में दृष्टि के कारण कुछ कठिनाइयों के साथ आमदनी के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है । ऐसे व्यक्ति शत्रुजयी , धर्मात्मा , उन्नतिशील तथा हिम्मती होते हैं ।

♦️शुक्र आपकी कुंडली में माता , भूमि , भवन , घरेलू सुख एवं आमदनी के स्वामी होते हैं ।  
👉माता भूमि भवन के सुख में कुछ कमी रहती है । ऐसे व्यक्ति जन्म स्थान से दूर जाकर निवास करते हैं । बाहरी स्थानों के संबंध से सफलता एवं सुख की प्राप्ति होती है । बाहरी  स्थानों के संबंध से आमदनी के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती हैं परंतु ऐसे व्यक्ति खर्च अधिक करते हैं । ऐसे व्यक्ति गरीब घर में जन्म लेने पर भी जीवन में बहुत उन्नति करते हैं और सारे सुख प्राप्त करते हैं ।
 ( शुक्र अंश बल में बिल्कुल कमजोर है अतः पूर्ण लाभ प्राप्त नहीं होता है । )

♦️शनि  आपकी कुंडली में  पति / पत्नी , दैनिक व्यवसाय एवं आयु के स्वामी होते हैं ।  शनि  आपकी कुंडली में अकारक होते हैं परंतु ज्यादा कमजोर हो जाए तो पत्नी के स्वास्थ्य एवं आयु में हानि करते हैं । 
👉आयु में वृद्धि होती है परंतु पत्नी तथा वैवाहिक जीवन के सुख में कमी तथा परेशानी होती है । दशम भाव में दृष्टि के कारण पिता ,  राज्य एवं रोजगार के पक्ष में कुछ परेशानी होती है । रोजगार के क्षेत्र में उन्नति धीरे-धीरे होती है । द्वितीय भाव में सूर्य पर दृष्टि के कारण धन एवं कुटुंब के सुख में परेशानी होती है ।  मतभेद बना रहता है । पंचम भाव में दृष्टि के कारण विद्या -  बुद्धि एवं संतान के क्षेत्र में परेशानी होती है ।

 ♦️👉राहु
विद्या - बुद्धि एवं संतान के पक्ष में कठिनाई तथा परेशानी होती है । मस्तिष्क के भीतर चिंता व्याप्त रहते हैं । विलंब से संतान का सुख प्राप्त होता है । वाणी में रूखापन रहता है । ऐसे व्यक्ति जिद्दी होते हैं । नवम भाव में दृष्टि के कारण भाग्य की उन्नति में कठिनाई होती है । उच्च शिक्षा प्राप्त करने में भी परेशानी होती है । धर्म का पालन ठीक से नहीं कर पाते हैं । एकादश भाव में दृष्टि के कारण कभी-कभी अचानक लाभ प्राप्त होता है । ऐसे व्यक्ति को शेयर मार्केट में भी सफलता प्राप्त होती है परंतु विधिवत ट्रेनिंग लेकर ही यह कार्य करना चाहिए ।  लग्न में दृष्टि के कारण शारीरिक स्वास्थ्य , सौंदर्य  , सम्मान  , प्रतिष्ठा  में कमी तथा परेशानी होती हैं । मानसिक परेशानी बनी रहती है ।

♦️👉केतु 
अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए आप कठिन परिश्रम करते हैं । अचानक लाभ - हानि होता रहता है । तृतीय भाव में चंद्रमा एवं मंगल पर दृष्टि के कारण शारीरिक स्वास्थ्य , विद्या  , बुद्धि ,  संतान एवं रोजगार के क्षेत्र में कठिनाई तथा परेशानियों का सामना करना पड़ता है । मानसिक परेशानी बनी रहती है । स्वभाव उग्र होता है एवं जिद्दी स्वभाव के होते हैं । ऐसे व्यक्ति को सीने से संबंधित परेशानी होने की संभावना रहती है अतः सावधान रहना चाहिए । पंचम भाव में दृष्टि के कारण दिमाग बहुत तेज होता है परंतु विद्या प्राप्त करने एवं संतान के क्षेत्र में कठिनाई तथा परेशानियों का सामना करना पड़ता है । किसी संतान के अपंग होने का भी भय बना रहता है । सप्तम भाव में दृष्टि के कारण पत्नी एवं वैवाहिक जीवन के सुख में कठिनाई तथा परेशानी होती है । मतभेद बना रहता है । मुतेन्द्रीय से संबंधित बीमारी होने की संभावना रहती है ।

                       ♦️सारांश♦️

👉 स्वास्थ्य एवं आयु  के लिए –  चन्द्र , राहु , केतु    का उपाय करें । 
  महामृत्युंजय यंत्र स्थापित करके   रुद्राक्ष की माला से  महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें । महामृत्युञ्जय मन्त्र - ॥ ॐ हौं  जुं सः त्रयम्बकं  यजामहे सुगन्धिं पुष्टि वर्धनं उर्वारुकमिव    
बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् सः जुं हौं ॐ ॥  

👉 संतान एवं विद्या बुद्धि के लिए – मंगल , शनि , राहु , केतु    का उपाय करें । 

👉गृहस्थ जीवन के लिए – शनि , केतु     का उपाय करें । 

👉 भाग्य की उन्नति के लिए –  गुरु , राहु    का उपाय करें । 

👉 रोजगार के लिए –  मंगल , शनि , केतु   का उपाय करें । 

👉धन एवं आमदनी के लिए – शुक्र , सूर्य , शनि , राहु , केतु  का उपाय करें । 
  स्फटिक का श्रीयंत्र स्थापित करके स्फटिक की माला से  लक्ष्मी साधना  ( मंत्र जाप  )  करें । लक्ष्मी मंत्र – ॥ ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः  ॥
॥ ऐं ह्रीं  श्रीं क्लीं सौ: जगतप्रसुत्यै नमः  ॥

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