Sunday, July 30, 2023

सावन महीने में करें शिव तांडव स्तोत्र का पाठ, हर मनोकामना होगी पूर्ण 

शिव तांडव स्तोत्र की रचाना के पीछे भी एक कहानी है और ये कहानी शिव के परम भक्त रावण से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि शिव तांडव स्तोत्र को रावण ने ही रचा था। 

रावण भगवान शिव का परम भक्त था। उसने भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए कैलाश पर्वत को अपने हाथों में उठा लिया था। रावण शिव शंकर की अपार शक्ति में लीन तो रहता है, लेकिन वह अहंकारी भी था। रावण का अहंकार कम करमे के लिए भगवान भोलेनाथ ने कैलाश पर्वत पर अपना पैर रक दिया। जिससे पर्वत का भार इतना बढ़ गया कि रावण से सहा नहीं गया और वो कैलाश पर्वत के नीचे दब गया। रावण की पीड़ा असहनीय होती जा रही थी। इसी मुसीबत को दूर करने के लिए रावण ने उसी वक्त शिवतांड़व स्तोत्र की रचना कर डाली और इसे भगवान शिव को सुनाया।

भगवान शिव रावण की इस स्तुति से प्रसन्न हुए और वरदान देने के साथ ही उसके सभी कष्टों को दूर किया । रावण ने जिस जगह कैलास पर्वत पर जिस पहाड़ के नीचे दबे हुए शिव तांडव स्तोत्र गाया था। आज भी वह स्थान कैलास पर्वत पर स्थित है और इस स्थान को राक्षस काल के नाम से जाना जाता है। रावण रचित इस स्तोत्र के बारे में मान्यता है, के भगवान भोलेनाथ सभी कष्टों को हर लेते हैं। 

मुश्किल है शिव तांडव स्तोत्र को पढ़ना, मिलेंगे बहुत लाभ
शिव तांडव स्तोत्र में संस्कृत के बहुत ही कठिन शब्दों का प्रयोग है यही कारण है इसे पढ़ना और सही उच्चारण करना बेहद कठिन है। शिव तांडव स्तोत्र अमोघ औषधि माना गया है। ये हर तरह के कष्टों से मुक्ति का रास्ता है। पितृ दोष निवारण और काल सर्प दोष में ये मंत्र बहुत प्रभावी है।
शिव तांडव स्तोत्र को पढ़ें
जटाटवीग लज्जलप्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्यलम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्‌।
डमड्डमड्डमड्डम न्निनादवड्डमर्वयं
चकार चंडतांडवं तनोतु नः शिवः शिवम ॥1॥
जटा कटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी ।
विलोलवी चिवल्लरी विराजमानमूर्धनि ।
धगद्धगद्ध गज्ज्वलल्ललाट पट्टपावके
किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं ममं ॥2॥
धरा धरेंद्र नंदिनी विलास बंधुवंधुर-
स्फुरदृगंत संतति प्रमोद मानमानसे ।
कृपाकटा क्षधारणी निरुद्धदुर्धरापदि
कवचिद्विगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥3॥
जटा भुजं गपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा-
कदंबकुंकुम द्रवप्रलिप्त दिग्वधूमुखे ।
मदांध सिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदद्भुतं बिंभर्तु भूतभर्तरि ॥4॥
सहस्र लोचन प्रभृत्य शेषलेखशेखर-
प्रसून धूलिधोरणी विधूसरांघ्रिपीठभूः ।
भुजंगराज मालया निबद्धजाटजूटकः
श्रिये चिराय जायतां चकोर बंधुशेखरः ॥5॥
ललाट चत्वरज्वलद्धनंजयस्फुरिगभा-
निपीतपंचसायकं निमन्निलिंपनायम्‌ ।
सुधा मयुख लेखया विराजमानशेखरं
महा कपालि संपदे शिरोजयालमस्तू नः ॥6॥
कराल भाल पट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल-
द्धनंजया धरीकृतप्रचंडपंचसायके ।
धराधरेंद्र नंदिनी कुचाग्रचित्रपत्रक-
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने मतिर्मम ॥7॥
नवीन मेघ मंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर-
त्कुहु निशीथिनीतमः प्रबंधबंधुकंधरः ।
निलिम्पनिर्झरि धरस्तनोतु कृत्ति सिंधुरः
कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥8॥
प्रफुल्ल नील पंकज प्रपंचकालिमच्छटा-
विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्‌
स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥9॥
अगर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी-
रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्‌ ।
स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं
गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥10॥
जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुर-
द्धगद्धगद्वि निर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्-
धिमिद्धिमिद्धिमि नन्मृदंगतुंगमंगल-
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ॥11॥
दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजंग मौक्तिकमस्रजो-
र्गरिष्ठरत्नलोष्टयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।
तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे ॥12॥
कदा निलिंपनिर्झरी निकुजकोटरे वसन्‌
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्‌ ।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन्‌ कदा सुखी भवाम्यहम्‌ ॥13॥
निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-
निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः ।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं
परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः ॥14॥
प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी
महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना ।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः
शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्‌ ॥15॥
इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं
पठन्स्मरन्‌ ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्‌ ।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नांयथा गतिं
विमोहनं हि देहना तु शंकरस्य चिंतनम ॥16॥
पूजाऽवसानसमये दशवक्रत्रगीतं
यः शम्भूपूजनमिदं पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां
लक्ष्मी सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः ॥17॥
 इति रावण  कृतम् शिव – ताण्दव स्तोत्रम्
#श्री सत्य नारायण पूजा#

कथा# अनुष्ठान# 
अक्षत :
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कुंकुमाक्ताः सुशोभिताः ।
मया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वर ॥

ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, अक्षतान्‌ समर्पयामि ।

( कुंकुम युक्त अक्षत चढ़ाएँ। बिना टूटे चावल सात बार धोए हुए अक्षत कहलाते हैं)

पुष्पमाला :
माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो ।
मयाऽऽह्तानि पुष्पाणि गृहाण परमेश्वर ॥

ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, पुष्पं पुष्पमालां च समर्पयामि ।

( पुष्प तथा पुष्पमालाएँ चढ़ाएँ)

दूर्वांकुर :
दूर्वांकुरान्‌ सुहरितानमृतान्‌ मंगलप्रदान्‌ ।
आनीतांस्तव पूजार्थं गृहाण परमेश्वर ॥

ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, दूर्वांकुरान्‌ समर्पयामि ।

( दूर्वांकुर अर्पित करें।)

आभूषण :
वज्रमाणिक्य वैदूर्य मुक्ता विद्रूम मण्डितम्‌ ।
पुष्परागसमायुक्तं भूषणं प्रतिगृह्यताम्‌ ॥

ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, आभूषणानि समर्पयामि ।

( आभूषण समर्पित करें।)

नाना परिमलद्रव् य
दिव्यगंधसमायुक्तं नानापरिमलान्वितम्‌ ।
गंधद्रव्यमिदं भक्त्या दत्तं स्वीकुरु शोभनम्‌ ॥

ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, नानापरिमलद्रव्याणि समर्पयामि ।

( परिमल द्रव्य चढ़ाएँ)

धूप :
वनस्पतिरसोद्भूतो गन्धाढ्यः गन्ध उत्तमः ।
आघ्रेयः सर्वदेवानां धूपोऽयं प्रतिगृह्यताम्‌ ॥

ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, धूपमाघ्रापयामि ।

( धूप आघ्रापित करें।)

दीप :
साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया ।
दीपं गृहाण देवेश ! त्रैलोक्यतिमिरापहम्‌ ॥

ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, दीपं दर्शयामि ।

( दीपक दिखाकर हाथ धो लें।)

नैवेद्य :
( पंचमिष्ठान्न व सूखी मेवा अर्पित करें)

शर्कराखण्डखाद्यानि दधिक्षीरघृतानि च ।
आहारं भक्ष्यभोज्यं च नैवेद्यं प्रतिगृह्यताम्‌ ॥

ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, नैवेद्यं निवेदयामि ।

आचमन :
नैवेद्यांते ध्यानं आचमनीयं जलं उत्तरापोऽशनं हस्तप्रक्षालनार्थं मुखप्रक्षालनार्थं च जलं समर्पयामि ।

( नैवेद्य निवेदित कर पुनः हस्तप्रक्षालन के लिए जल अर्पित करें।)

ऋतुफल :
फलेन फलितं सर्वं त्रैलोक्यं सचराचरम्‌ ।
तस्मात्‌ फलप्रदादेन पूर्णाः सन्तु मनोरथाः ॥

ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, ऋतुफलं निवेदयामि। मध्ये आचमनीयं जलं उत्तरापोऽशनं च समर्पयामि ।

( ऋतुफल अर्पित करें तथा आचमन व उत्तरापोऽशन के लिए जल दें।)
ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, प्रार्थनापूर्वकं नमस्कारान्‌ समर्पयामि ।

( प्रार्थना करते हुए नमस्कार करें।)

क्षमा-याचना :

आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्‌ ॥
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर ॥

मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वर ।
यत्पूजितं मया देव परिपूर्णं तदस्तु मे ॥

ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः, क्षमायाचनां समर्पयामि ।

( क्षमा-याचना करें)

पूजन समर्पण :
हाथ में जल लेकर निम्न मंत्र बोलें :-

' ॐ अनेन यथाशक्ति अर्चनेन श्रीसत्यनारायणाय प्रसीदतुः ॥'

( जल छोड़ दें, प्रणाम करें)

ॐ तत्सद् ब्रह्मार्पणमस्तु ।
ॐ आनंद ! ॐ आनंद !! ॐ आनंद !!!

Tuesday, July 25, 2023

सूर्य और पिता के साथ आपका संबंध 🌟👨‍👦🌞

नमस्कार दोस्तों! 🌸🙏

आज हम ज्योतिष के चमकते हुए तारों की ओर बढ़ेंगे और जानेंगे कि पिता के साथ हमारा कैसा संबंध होता है जब हमारा सूर्य पहले घर, दूसरे घर और इसी तरह सभी घरों में स्थित होता है। 🏠👨‍👦💫

१वें घर में स्थित सूर्य ☀️🏠
जिन लोगों के सूर्य पहले घर में स्थित होते हैं, उन्हें अपने पिता के साथ अच्छा संबंध मिलता है। पिता उन्हें स्वतंत्रता का महत्व समझाने में मदद करते हैं और उन्हें नेतृत्व और सामंजस्यपूर्ण सोच सिखाते हैं। इस स्थिति में बच्चे अपने पिता के प्रति बड़े सम्मान और प्रेम के साथ रहते हैं। 👨‍👦❤️🤝

२वें घर में स्थित सूर्य 🌞🏠
जो लोग दूसरे घर में सूर्य स्थित होता है, उनके पिता संबंधी मामूले से रहते हैं। वे अपने पिता के साथ समझदारी और सम्मानपूर्वक संबंध बनाते हैं, लेकिन बड़ा प्यार नहीं दिखाते। इस स्थिति में, पिता की मेहनत और परिश्रम को समझने की जरूरत होती है, जो उन्हें उनके शौकों और इच्छाओं की प्रेरणा देती है। 👨‍👦💭🙏

३वें घर में स्थित सूर्य 🔆🏠
जो लोग तीसरे घर में सूर्य स्थित होता है, उन्हें अपने पिता से अलग होने की इच्छा होती है। पिता के साथ उनके बीच विवाद हो सकते हैं और संबंध थोड़े कठिन हो सकते हैं। इस स्थिति में, बच्चों को समझने की जरूरत होती है कि पिता उन्हें सुरक्षित रखने और सही राह पर चलने के लिए ही समझदारी से रोकते हैं। 👨‍👦💔🤷‍♂️

४वें घर में स्थित सूर्य 🌅🏠
जो लोग चौथे घर में सूर्य स्थित होता है, उन्हें पिता के साथ अच्छा संबंध मिलता है। पिता उन्हें उत्साही बनाते हैं और उनके सपनों को पूरा करने के लिए साथ खड़े होते हैं। बच्चे अपने पिता को अपने जीवन के मार्गदर्शक और साथी के रूप में मानते हैं। 👨‍👦🌠🤗

५वें घर में स्थित सूर्य 🌇🏠
जो लोग पांचवे घर में सूर्य स्थित होता है, उन्हें पिता के साथ एक स्नेहपूर्ण और सुखी संबंध होता है। पिता उन्हें संबंधों के महत्व को समझाते हैं और परिवार के साथी होने का आनंद दिलाते हैं। इस स्थिति में, बच्चे अपने पिता के साथ खुले मन से बातचीत करते हैं और उनसे सलाह और सहायता लेते हैं। 👨‍👦💞🌄

६वें घर में स्थित सूर्य 🌆🏠
जो लोग छठे घर में सूर्य स्थित होता है, उन्हें पिता के साथ समझौते करने में कुछ मुश्किलें हो सकती हैं। पिता के साथ उन्हें अच्छा संबंध होता है, लेकिन कभी-कभी बातचीत में तकरार हो सकती है। इस स्थिति में, बच्चों को समझने की जरूरत होती है कि पिता भी उनके उत्तराधिकारी हैं और उन्हें सम्मान और सहायता का मौका देना चाहिए। 👨‍👦🤝🤔

७वें घर में स्थित सूर्य 🌇🏠
जो लोग सातवे घर में सूर्य स्थित होता है, उन्हें पिता के साथ गहरा संबंध होता है। पिता उन्हें समर्थन और प्रेरणा प्रदान करते हैं और उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करते हैं। इस स्थिति में, बच्चे अपने पिता के साथ एक संतुष्ट और समृद्ध संबंध बनाते हैं। 👨‍👦💪💖

८वें घर में स्थित सूर्य 🌆🏠
जो लोग आठवे घर में सूर्य स्थित होता है, उन्हें पिता के साथ कुछ विशेष परेशानियां हो सकती हैं। यह स्थान अस्तव्यस्तता का सूचक होता है, जिससे बच्चे अपने पिता के साथ संबंध बनाने में परेशान हो सकते हैं। इस स्थिति में, बच्चों को समझने की जरूरत होती है कि उनके पिता की चिंताएं और चुनौतियों को समझें और उन्हें समर्थन और संबंध दें। 👨‍👦💔🧠

९वें घर में स्थित सूर्य 🌅🏠
जो लोग नौवे घर में सूर्य स्थित होता है, उन्हें पिता के साथ अच्छा संबंध होता है। पिता उन्हें

अपने पिता को प्रियतम बनाने में महत्वपूर्ण मानते हैं और उनके सपनों के प्रति समर्थ होने के लिए प्रेरित करते हैं। इस स्थिति में, बच्चे अपने पिता के साथ गहरे संबंध बनाते हैं और पिता के आशीर्वाद और संचेतना के लिए आभार व्यक्त करते हैं। 👨‍👦💗🌅

१०वें घर में स्थित सूर्य 🌇🏠
जो लोग दसवे घर में सूर्य स्थित होता है, उन्हें पिता के साथ आपसी समझ और समर्थन मिलता है। पिता उन्हें समझते हैं और उनके राह-रस्ते में सहायता करने के लिए सक्षम होते हैं। इस स्थिति में, बच्चे अपने पिता को अपने जीवन के आदर्श और समर्थ नेतृत्व के रूप में मानते हैं। 👨‍👦🤝🌠

११वें घर में स्थित सूर्य 🌆🏠
जो लोग ग्यारहवे घर में सूर्य स्थित होता है, उन्हें पिता के साथ संबंध अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। यह स्थान संबंधों की बेहतर समझदारी और समर्थन की आवश्यकता बताता है। इस स्थिति में, बच्चों को समझने की जरूरत होती है कि पिता उनके लिए सबसे अच्छा चाहने वाले हैं और उन्हें अपने भविष्य के लिए आत्मनिर्भर बनने की सारी सहायता मिलेगी। 👨‍👦🤔🙏

१२वें घर में स्थित सूर्य 🌇🏠
जो लोग बारहवे घर में सूर्य स्थित होता है, उन्हें पिता के साथ आपसी समझदारी की आवश्यकता होती है। पिता के साथ संबंध विशेष बनाने में विघ्न हो सकते हैं, लेकिन यह भी संबंध समझदारी से संभव है। इस स्थिति में, बच्चों को समझने की जरूरत होती है कि पिता की शक्तियों और कमजोरियों को समझें और उन्हें समर्थन और 
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Monday, July 24, 2023

भगवान् के #२४_अवतार हैं ,  उनमें पहला अवतार सनक -सनन्दन - सनातन - सनत्कुमार हैं ।

वे चार  हैं ,   लेकिन उनके एक विचार ,  एक आचरण व एक साधना है तथा एक-दूसरे के साथ अपनत्व है ।

उन्होंने मानव जाति को शिक्षा देने के लिये बद्रिकाश्रम - हिमालय में तप किया । 

सुनी हुई बातों की अपेक्षा देखी हुई बातें अधिक याद रहती है ,  बोलने और चर्चा करने की अपेक्षा चरित्र में चरितार्थ करना ही सर्वश्रेष्ठ शिक्षा का मार्ग है ----- यह इन महापुरुषों के आचरण से सीखा जा सकता है ।

सनत्कुमार आदि चारों ऋषि-बालक नित्य हरि-शरणम् का जप करते हैं ,  आपस में सत्संग करते हैं , उनमें वैराग्य है , उन्हें किसी बाह्य-वस्तु की आवश्यकता नहीं है ।

वे आपस में संघर्ष भी नहीं करते हैं , वे केवल हरि चर्चा करते हुए मानव जाति का हित सोचते हैं , वे छोटे-बड़े का भेद नही करते ।

भगवान् के इस अवतार का संदेश यह है कि समूह में, परिवार में एकमत से रहना चाहिये ,  समूह या परिवार में समन्वय और सामंजस्य ही बुद्धि की परिपक्वता है , इसीसे  हमारे परिवार में शांति - एकता -भाईचारा संभव है तथा तभी सह-अस्तित्व स्थायी हो सकता है ।

इस शिक्षा के प्रसारार्थ भी निराकार परमात्मा साकार होने पर सनकादिक रूप में अनेक हो जाते हैं ।

श्रावण मास और भगवान शिव: 🌙🕉️💫श्रावण मास का आगमन हो रहा है, जो हिन्दू पंचांग में सबसे पवित्र मास माना जाता है। इस महीने को भगवान शिव के अभिषेक एवं व्रतों के लिए विशेष महत्व दिया जाता है। इस पोस्ट में, हम आपको कुछ अद्भुत लाभदायक बातें और उपाय बताएंगे, जिन्हें सेहत और समृद्धि के लिए अपनाकर आप अपने जीवन को सुख-शांति से भर सकते हैं। 🙏✨🌟 श्रावण मास का महत्व 🌟श्रावण मास को मासिक शिवरात्रि के साथ जोड़कर इसे शिव मास भी कहते हैं। इस मास में भगवान शिव की पूजा करने से विशेष फल मिलता है। भक्तों का मानना है कि इस महीने भगवान शिव विशेष रूप से अपनी कृपा बरसाते हैं और उनकी पूजा-अर्चना से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।💫 श्रावण मास के लाभ 💫1️⃣ शारीरिक स्वास्थ्य: श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा करने से शारीरिक रोगों का नाश होता है। किडनी समस्याएं कम होती हैं और त्वचा की बेहतर देखभाल होती है।2️⃣ मानसिक शांति: शिव पूजा और ध्यान से मानसिक चिंताओं और तनाव का समाधान होता है। ध्यान करने से मन शांत होता है और आत्मा को पौराणिक ऊर्जा का अनुभव होता है।3️⃣ समृद्धि: भगवान शिव की आराधना से धन, समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है। कठिनाईयों को आसानी से पार किया जा सकता है और व्यापार में बढ़ोतरी होती है।🌱 श्रावण मास के उपाय 🌱1️⃣ शिवलिंग का अभिषेक: श्रावण मास में भगवान शिव के शिवलिंग को दूध, दही, घी और शहद से स्नान कराएं। इससे आपके जीवन में सुख, समृद्धि, और स्वास्थ्य का वरदान होगा। 🛕🥛🍯2️⃣ ओम नमः शिवाय जाप: रोज़ाना १०-१५ मिनट तक ओम नमः शिवाय का जाप करें। यह आपको मानसिक शांति और ध्यान की प्राप्ति करेगा। 🧘‍♂️📿3️⃣ सत्संग: श्रावण मास में सत्संग और साधु-संतों का संध्या करना धर्मिकता और सद्गुरु के मार्गदर्शन को प्राप्त करने में मदद करता है। 🤝🙏📜📜 प्राचीन कथाएँ 📜एक समय की बात है, भारत में एक गांव में एक गरीब निवासी रहता था। उसका नाम शम्भू था। शम्भू बहुत नेक और धार्मिक आत्मा था, लेकिन उसके पास समृद्धि नहीं थी। वह हर रोज़ शिव मंदिर जाकर भगवान शिव की पूजा करता था और आशा करता था कि उनकी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।एक दिन, उसने एक साधु को अपने घर में खुशाबूदार खाने का भोजन परोसा। साधु ने उसके भविष्य को देखकर कहा, "भगवान शिव तुम्हारे आराध्य हैं, वे तुम्हारी पूजा से प्रसन्न होंगे। श्रावण मास के अवसर पर, तुम उनकी पूजा करते समय बेहद विशिष्ट मंत्र का जाप करो। वे मंत्र हैं - 'ॐ नमः शिवाय'। इसे १०८ बार जप करने से तुम्हारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।"शम्भू ने उस साधु की बात मानी और श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को 'ॐ नमः शिवाय' का १०८ बार जाप करना शुरू किया। धीरे-धीरे, उसकी किस्मत बदलने लगी और वह अमीर बन गया। उसके घर में धन, समृद्धि, और सुख की बरसात होने लगी।इसी तरह, भगवान शिव के भक्त श्रावण मास में विशेष पूजा-अर्चना करके अपने जीवन को समृद्ध, सुखी, और सम्पन्न बना सकते हैं। 🙏💰🌈अब आप भी श्रावण मास का आनंद उठाएं और भगवान शिव के समीप आकर उनकी कृपा प्राप्त करें। ध्यान से 'ॐ नमः शिवाय' का जाप करें, प्राकृतिक सौंदर्य से घिरे उनके मंदिरों का दर्शन करें, और सभी विधि-विधान से उनकी पूजा करें। भगवान शिव आपको स्वस्थ, धन्य, और समृद्ध बनाएं! 🙌🎉💐🌼 श्री हर हर महादेव! श्रावण मास की शुभकामनाएँ! 🌼

श्रावण मास और भगवान शिव: 🌙🕉️💫

श्रावण मास का आगमन हो रहा है, जो हिन्दू पंचांग में सबसे पवित्र मास माना जाता है। इस महीने को भगवान शिव के अभिषेक एवं व्रतों के लिए विशेष महत्व दिया जाता है। इस पोस्ट में, हम आपको कुछ अद्भुत लाभदायक बातें और उपाय बताएंगे, जिन्हें सेहत और समृद्धि के लिए अपनाकर आप अपने जीवन को सुख-शांति से भर सकते हैं। 🙏✨

🌟 श्रावण मास का महत्व 🌟

श्रावण मास को मासिक शिवरात्रि के साथ जोड़कर इसे शिव मास भी कहते हैं। इस मास में भगवान शिव की पूजा करने से विशेष फल मिलता है। भक्तों का मानना है कि इस महीने भगवान शिव विशेष रूप से अपनी कृपा बरसाते हैं और उनकी पूजा-अर्चना से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

💫 श्रावण मास के लाभ 💫

1️⃣ शारीरिक स्वास्थ्य: श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा करने से शारीरिक रोगों का नाश होता है। किडनी समस्याएं कम होती हैं और त्वचा की बेहतर देखभाल होती है।

2️⃣ मानसिक शांति: शिव पूजा और ध्यान से मानसिक चिंताओं और तनाव का समाधान होता है। ध्यान करने से मन शांत होता है और आत्मा को पौराणिक ऊर्जा का अनुभव होता है।

3️⃣ समृद्धि: भगवान शिव की आराधना से धन, समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है। कठिनाईयों को आसानी से पार किया जा सकता है और व्यापार में बढ़ोतरी होती है।

🌱 श्रावण मास के उपाय 🌱

1️⃣ शिवलिंग का अभिषेक: श्रावण मास में भगवान शिव के शिवलिंग को दूध, दही, घी और शहद से स्नान कराएं। इससे आपके जीवन में सुख, समृद्धि, और स्वास्थ्य का वरदान होगा। 🛕🥛🍯

2️⃣ ओम नमः शिवाय जाप: रोज़ाना १०-१५ मिनट तक ओम नमः शिवाय का जाप करें। यह आपको मानसिक शांति और ध्यान की प्राप्ति करेगा। 🧘‍♂️📿

3️⃣ सत्संग: श्रावण मास में सत्संग और साधु-संतों का संध्या करना धर्मिकता और सद्गुरु के मार्गदर्शन को प्राप्त करने में मदद करता है। 🤝🙏

📜📜 प्राचीन कथाएँ 📜

एक समय की बात है, भारत में एक गांव में एक गरीब निवासी रहता था। उसका नाम शम्भू था। शम्भू बहुत नेक और धार्मिक आत्मा था, लेकिन उसके पास समृद्धि नहीं थी। वह हर रोज़ शिव मंदिर जाकर भगवान शिव की पूजा करता था और आशा करता था कि उनकी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।

एक दिन, उसने एक साधु को अपने घर में खुशाबूदार खाने का भोजन परोसा। साधु ने उसके भविष्य को देखकर कहा, "भगवान शिव तुम्हारे आराध्य हैं, वे तुम्हारी पूजा से प्रसन्न होंगे। श्रावण मास के अवसर पर, तुम उनकी पूजा करते समय बेहद विशिष्ट मंत्र का जाप करो। वे मंत्र हैं - 'ॐ नमः शिवाय'। इसे १०८ बार जप करने से तुम्हारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।"

शम्भू ने उस साधु की बात मानी और श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को 'ॐ नमः शिवाय' का १०८ बार जाप करना शुरू किया। धीरे-धीरे, उसकी किस्मत बदलने लगी और वह अमीर बन गया। उसके घर में धन, समृद्धि, और सुख की बरसात होने लगी।

इसी तरह, भगवान शिव के भक्त श्रावण मास में विशेष पूजा-अर्चना करके अपने जीवन को समृद्ध, सुखी, और सम्पन्न बना सकते हैं। 🙏💰🌈

अब आप भी श्रावण मास का आनंद उठाएं और भगवान शिव के समीप आकर उनकी कृपा प्राप्त करें। ध्यान से 'ॐ नमः शिवाय' का जाप करें, प्राकृतिक सौंदर्य से घिरे उनके मंदिरों का दर्शन करें, और सभी विधि-विधान से उनकी पूजा करें। भगवान शिव आपको स्वस्थ, धन्य, और समृद्ध बनाएं! 🙌🎉💐

🌼 श्री हर हर महादेव! श्रावण मास की शुभकामनाएँ! 🌼
वास्तु में प्रयुक्त विभिन्न चित्रों का प्रभाव

प्राचीन समय से ही वास्तु शास्त्र भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आया है। वास्तु शास्त्र द्वारा न केवल हमारे घर का नक्शा बनाने का ध्यान रखा जाता है, बल्कि उसमें अलग-अलग चित्रों के उपयोग से भी वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाया जा सकता है। इन चित्रों के उपयोग से हम अपने घर और कार्यस्थल के वास्तु को सुधार सकते हैं और खुशहाल जीवन जी सकते हैं। आइए, चलिए हम विभिन्न प्रकार के चित्रों के बारे में विस्तार से जानते हैं:

1. गणेश जी का चित्र: 
गणेश जी को विधि-विधान से सभी कार्यों का विधानकर्ता माना जाता है। उनके चित्र को घर के मुख्य द्वार या पूजा कक्ष में स्थान देने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

2. लक्ष्मी जी का चित्र: 
धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी जी के चित्र को धन क्षेत्र में या उत्तर दिशा में स्थान देने से वित्तीय समृद्धि में वृद्धि होती है।

3. सूर्य और चन्द्रमा का चित्र: 
उदय और अस्त होने वाले सूर्य और चन्द्रमा के चित्र को पूर्व दिशा और पश्चिम दिशा में स्थान देने से घर को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और परिवार के सभी सदस्यों के स्वास्थ्य में सुधार होता है।

4. पक्षियों के चित्र: 
घर में उड़ने वाले पक्षियों के चित्र को दक्षिण दिशा में या ईशान कोने पर स्थान देने से समृद्धि और सफलता का आगमन होता है।

5. नृत्य और संगीत के चित्र: 
कला के क्षेत्र में रूचि रखने वाले लोगों के लिए नृत्य और संगीत से संबंधित चित्रों को पश्चिम दिशा में स्थान देना शुभ होता है और उनमें रचनात्मकता को बढ़ाता है।

6. धरोहरी चित्र: 
धारोहरिक चित्रों को पूर्व दिशा या उत्तर-पूर्व दिशा में स्थान देने से परिवार के बंधुत्व के संबंध मजबूत होते हैं और उसमें संस्कृति का अभिवादन होता है।

7. ध्वजा का चित्र:
ध्वजा के चित्र को दक्षिण दिशा में या ईशान कोने में स्थान देने से घर में आनंद और शांति की भावना बनी रहती है। ध्वजा का प्रतीक यह भी दर्शाता है कि वहां वास्तु दोषों का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

8. प्राकृतिक चित्र:
प्रकृति से संबंधित चित्रों को पश्चिम दिशा में स्थान देने से वातावरण में शांति और स्वस्थ ऊर्जा का संचार होता है। पेड़-पौधों, नदियों, पहाड़ों और वनों के चित्र देखने से मन को शांति मिलती है और मनुष्य अपने स्वाभाविक रूप से जुड़ जाता है।

9. भगवान कृष्ण का चित्र:
श्रीकृष्ण को पश्चिम दिशा में या पूर्व दिशा में स्थान देने से परिवार में प्रेम और सांत्वना का वातावरण बना रहता है। इनके चित्र को अर्ध्यामा रूप में स्थान देने से सार्थकता और सफलता मिलती है।

10. सुंदरता से संबंधित चित्र:
खूबसूरती से संबंधित चित्रों को पूर्व दिशा में स्थान देने से घर के सभी कार्यों में समृद्धि और सफलता मिलती है। ऐसे चित्र देखने से व्यक्ति में उत्साह और उत्साह की भावना उत्पन्न होती है।

11. धन प्राप्ति से संबंधित चित्र:
धन कमाने और बढ़ाने से संबंधित चित्रों को उत्तर दिशा में स्थान देने से धन की वृद्धि होती है। इन चित्रों के दर्शन से व्यक्ति के मन में आर्थिक उन्नति के प्रति उत्साह उत्पन्न होता है।

12. बाघ या शेर का चित्र:
बाघ और शेर के चित्र को उत्तर-पश्चिम दिशा में स्थान देने से सौभाग्य और सफलता की वृद्धि होती है। यह शक्तिशाली प्राणियों का प्रतीक होते हैं, जो अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता करते हैं।

वास्तु शास्त्र में उपयुक्त चित्रों का प्रयोग करके हम अपने घर और कार्यस्थल के वातावरण को सकारात्मक ऊर्जा से पूर्ण बना सकते हैं। यह चित्र हमारे जीवन को सुख, समृद्धि, सम्मान और शांति से भर देते हैं। ध्यान रहे कि वास्तु के अनुसार, चित्रों का स्थान और उनके उपयोग करने के नियम होते हैं और उन्हें उसी तरह लगाना चाहिए. 

दिनेश शास्त्री नॉर्वे